सोनपुर मेला की तरह सुव्यवस्थित हो आदिवासी मेलाः अविनाश

सच खबर, मेदिनीनगर। पलामू जिले के दुबियाखाड़ स्थित लगने वाले आदिवासी मेला को वर्तमान झारखंड सरकार द्वारा राजकीय मेला घोषित करने पर मैं व्यक्तिगत तौर पर सरकार समेत सभी प्रयासरत जनप्रतिनिधियों एवं पदाधिकारियों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूं। विदित हो कि तत्कालीन भू राजस्व मंत्री इंदर सिंह नामधारी की दूरदृष्टि सोच और राजा मेदनी राय के प्रति अपनी समर्पण भावना के तहत 1995 में उक्त मेला का प्रारंभ कराया गया था, जो प्रत्येक वर्ष 10 और 11 फरवरी को लगना आज भी जारी है। जहां उक्त मेले का उद्देश्य स्थानीय ग्रामीणों में सरकारी योजनाओं और सरकारी संपत्ति वितरण के कार्य किए जाते रहे हैं । वही, समय-समय पर तत्कालीन सरकारों के द्वारा मेले की महत्ता पर प्रकाश डाला जाता रहा है, मगर पिछले कई वर्षों से मेला अपनी भव्यता और उद्देश्यों से भटकते हुए औपचारिकताओं पर आकर टिका हुआ था और इसके प्रेरणा स्रोत के साथ संबंधित लोग भी अपने आप को असहाय महसूस करते रहे। मैं स्थानीय मेला कमेटी, जिला परिषद और जिला प्रशासन को धन्यवाद देता हूं कि बगैर कोई विशेष सहयोग और सहायता के आज तक वह परंपरा कायम है। वर्तमान में झारखंड सरकार के द्वारा उक्त मेले को राजकीय मेला घोषित कर दिया गया है अतः अब आने वाले दिनों में उस क्षेत्र का विकास पर्यटन स्थल के रूप में करते हुए एक अलग पहचान के साथ भरपूर धन राशि की उपलब्धता रहेगी तथा घोषित योजनाओं का क्रियान्वयन एवं दूरदराज के लोगों का भी स्थानीय लोगों के प्रति एकता और भाईचारे का संदेश अन्य क्षेत्रों के लिए प्रेरणादायक होगा। मुझे पूरा विश्वास है कि आने वाले दिनों में कार्यरत सरकार और स्थानीय लोगों के प्रयास से यह आदिवासी मेला विश्व विख्यात बिहार के सोनपुर मेला के तर्ज पर अपनी अमिट छाप छोड़ते हुए विकास की एक नई इबारत लिखेगा।

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